मरने काहेको डरा?
मरना जान ले पुरा || टेक ||
जन्म - मरण खेल है
आशकके खेलमे
सुख दु:ख ना कभी
आशकके मेलमे
अँखिया खोल तो जरा || १||
मौतमे हँसते कई
आशक गुजर गये
मर गये कई खुशीसे
फेर जीगये
उनसे कालही डरा || २ ||
जो लगे है इश्कसे
दिदार यारकी
खब्र ना उनको कही
धन -दार द्वारकी
अपनी मस्तिमों परा || ३ ||
सदगुरुका संग साथ
कर सही उन्हें ।
ले दयाको सर उठाके जान तारने ।
तुकड्याके वह मन भरा ॥४ ॥
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